कवि✍️डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" नई दिल्ली

❤️होली की शुभकामना❤️
दिनांकः ०९.०३.२०२०
वारः सोमवार
विधाः गीत(कविता)
शीर्षकः होली आयी है
होली   आयी   है   आयी  है   होली    आयी   है,
सब   खुशियों     रंगों   की  थाल    सजायी    है। 
शान्ति प्रेम सौहार्द्र आपसी भेंट सजाकर लायी है,
अपनापन  मानवता  का  संदेश  सुनाने आयी है। 
होली आयी है ....
जाति पाति और ऊँच नीच का भेद मिटाने आयी है,
घृणा ,द्वेष छल कपट होलिका आग जलाने आयी है।
अंधापन कट्टर  धार्मिकता  सद्भाव जगाने  आयी  है,
सद्गुरू या भगवान कहो या गॉड ख़ुदा रंग लायी है।
होली आयी है ....
रहें सभी सुख  चैन  प्रेम से  अलख जगाने आयी हूँ,
होली हूँ हर सभी गमों को मुस्कान अधर पे लायी हूँ।
रोग शोक मद लालच सबको आग जलाने  आयी हूँ,
दीन धनी का भेद भुलाकर रंगोली  बन मैं  छायी हूँ।
होली आयी है ....
होली  हूँ  सब  भेद  भुलाकर  गले  मिलाने आयी  हूँ,
पीला लाल गुलाबी हरितिम सतरंग बनी  मैं आयी हूँ।
शान्ति वतन जन मन सुरभित प्रेम चमन बनआयी हूँ, 
सद्भावन समरस मनभावन रिपुदलन कराने आयी हूँ।
होली आयी है ....
हिंसा दंगा रोष विनाशक  मन घाव मिटाने  आयी हूँ ,
त्याग शील गुण कर्म  मधुरतम रंग लगाने आयी  हूँ।
शिक्षा दीक्षा सर्वसुलभ युवजन  प्रेरक बन छायी  हूँ,
राष्ट्र भक्ति एकत्व भाव मन प्रीति  रंग  बन आयी हूँ।। 
होली आयी है ....
दान मान सम्मान  सर्वजन समभाव  राष्ट्र में लायी हूँ,
होली हूँ नैतिक सम्पोषक प्रेम शान्ति रंग बरसायी हूँ।
सबल बने निर्भय नारी सब सम्मान जगाने  आयी हूँ,
रंगों की होली महापर्व वसुधैव कुटुम्ब भाव मैं लायी हूँ।
होली आयी है ....
आओ हम सब मिलें साथ में खेलें रंग रंगोली  होली,
गाएँ झूमें फाग राग हम मधुरिम  रास  रचाएँ  टोली।
गले मिलें सब भेद भुला हम दें बधाईयाँ  मृदु बोली,
लगे लाल गुलाल गाल पे  साजन सजनी हमजोली।
होली आयी है .... 
गुंजे चहुँदिशि गीत जोगीरा सर र र होली मन रंगरसिया,
झूमें मधुवन साथ गोपियाँ  बजाए राधाकृष्ण   मुरलिया।
भाँग पान मदमस्त प्रेम में झूमें सियराम  धाम अवधिया,
फूल वृष्टि काशी रंगीली सज मंगल विश्वनाथ मनवसिया।।
होली आयी है .... 
कवि✍️डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
रचनाः मौलिक(स्वरचित)
नई दिल्ली


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