स्वतंत्र रचना सं.२८७
दिनांकः १६.०३.२०२०
वारः सोमवार
विधाः दोहा
छन्दः मात्रिक
विषयः जय
मातु पिता जयगान हो , जय गुरु जय मेहमान।
भक्ति प्रेम जन गण वतन , ईश्वर दो वरदान।।१।।
मानवता जयनाद से , हो गुंजित संसार।
जय किसान रक्षक वतन , विज्ञानी आविष्कार।।२।।
जय हिन्द हिन्दी जयतु , लोकतंत्र जयगान।
राम राज्य समरथ अमन , जय विधान अभिमान।।३।।
संस्कार वैदिक जयतु , जय भारत पुरुषार्थ।
जय क्षिति पावक गगन जल,वात जयतु यशगान।।४।।
जयतु विश्व सुष्मित प्रकृति,जयतु सिन्धु रवि इन्दु।
जयतु सरित निर्झर सरसि,जय पयोद जल बिन्दु ।।५।।
सदाचार निष्ठा जयतु , जय भारत परिधान।
धैर्य शील भारत जयतु , जय नार्यशक्ति सम्मान।।६।।
जन्मभूमि जय भारती , रीति प्रीति जय नीति।
कर्मशील परमार्थ जय, नव जीवन जय गीति।।७।।
जयतु चक्र बदलाव का , जयतु तिरंगा शान।
जयतु प्रगति नित न्याय जग,नैतिक बल अहशान।।८।।
जय मानव इन्सानियत , ऋषि मुनि संत समाज।
धीर वीर सच पारखी , जयतु हिन्द आवाज़।।९।।
जयतु ज्ञानदा भारती , सर्वधर्म सद्भाव।
जाति धर्म भाषा पृथक् , मिटे सभी दुर्भाव।।१०।।
जन गण मन मंगल जयतु, जय हो वेद पुराण।
जय गीता वेदान्त जय , सकल मनुज कल्याण।।११।।
जय संस्कृत भाषा सतत् , जयतु काव्य संगीत।
जय दर्शन शिल्पी वतन ,कवि निकुंज मनमीत।।१२।।
कवि✍️डॉ.राम कुमार झा "निकुंज"
रचनाः मौलिक(स्वरचित)
नई दिल्ली
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें