कवि✍️डॉ.राम कुमार झा "निकुंज" रचनाः मौलिक(स्वरचित) नई दिल्ली

स्वतंत्र रचना सं.२८७
दिनांकः १६.०३.२०२०
वारः सोमवार
विधाः दोहा
छन्दः मात्रिक
विषयः जय
मातु पिता जयगान हो , जय  गुरु    जय   मेहमान। 
भक्ति    प्रेम   जन  गण वतन , ईश्वर  दो    वरदान।।१।।
मानवता       जयनाद   से , हो    गुंजित     संसार।
जय  किसान रक्षक  वतन , विज्ञानी    आविष्कार।।२।।
जय     हिन्द   हिन्दी  जयतु , लोकतंत्र    जयगान।
राम राज्य समरथ अमन , जय विधान   अभिमान।।३।।
संस्कार   वैदिक  जयतु , जय    भारत    पुरुषार्थ।
जय क्षिति पावक गगन जल,वात जयतु  यशगान।।४।।
जयतु विश्व सुष्मित प्रकृति,जयतु सिन्धु रवि इन्दु।
जयतु सरित निर्झर सरसि,जय पयोद जल बिन्दु ।।५।।
सदाचार   निष्ठा   जयतु , जय    भारत   परिधान।
धैर्य शील  भारत  जयतु , जय नार्यशक्ति सम्मान।।६।।
जन्मभूमि  जय  भारती , रीति   प्रीति  जय नीति।
कर्मशील परमार्थ  जय,  नव जीवन  जय   गीति।।७।।
जयतु   चक्र   बदलाव का , जयतु   तिरंगा  शान।
जयतु प्रगति नित न्याय जग,नैतिक बल अहशान।।८।।
जय मानव इन्सानियत , ऋषि मुनि  संत  समाज। 
धीर  वीर  सच  पारखी , जयतु     हिन्द आवाज़।।९।।
जयतु     ज्ञानदा   भारती ,    सर्वधर्म     सद्भाव।
जाति   धर्म  भाषा पृथक् , मिटे   सभी    दुर्भाव।।१०।।
जन गण मन मंगल जयतु, जय  हो  वेद  पुराण।
जय गीता वेदान्त  जय , सकल मनुज कल्याण।।११।।
जय संस्कृत भाषा सतत् , जयतु काव्य  संगीत।
जय दर्शन  शिल्पी वतन ,कवि निकुंज मनमीत।।१२।।


कवि✍️डॉ.राम कुमार झा "निकुंज"
रचनाः मौलिक(स्वरचित)
नई दिल्ली


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