कवि✍️डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" रचनाः मौलिक(स्वरचित) नई दिल्ली

स्वतंत्र रचना 
दिनांकः ११.०३.२०२०
वारः बुधवार
विधाः उन्मुक्त (कविता)
शीर्षकः 🕊️"गोरैया" 🐦


चीं चीं चीं चीं छोटी चिड़िया,
प्यारी प्यारी भोली भाली,
उड़ी गोरैया उन्मुक्त गगन में,
फुदक फुदक कर इधर उधर वह
बैठी उड़ती चुगती दाने,
छोटी छोटी चोंच में तिनके,
उठा ले जाती बना घोंसलें।
घर बाहर खिड़की दरवाज़े,
निडर बनी वह नित मतवाली,
रंगमहल बन सज़ा आसियां ,
अंडे देती , पाल पोषती ,
बस इतराती नन्हीं चिड़िया,
हमें चिढ़ाती चीं चीं करके ,
तिनकों से घर गंदा करके ,
साफ कराते हमसे निज घर,
हँसती चिड़िया चतुर गौरैया,
नित थकते,फिर भी हम हँसते,
भोली भाली बिन चिन्ता वह,
प्रकृति मनोहर उड़नपरी बन,
नव आशा की सोच जगाती,
नित उड़ान भर नये ध्येय नभ,
नव जीवन की अलख जगाती,
मन भावन सुन्दर यह चिड़िया, 
प्यास बुझाए जहँ मिले सुलभ जल,
साँझ भयो निज गेह गोरैया।


कवि✍️डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
रचनाः मौलिक(स्वरचित)
नई दिल्ली


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