*किसी से कम नहीं*
(मनहरण घनाक्षरी)
"""""""""""""""""""""""""
वो किसी से कम नहीं,
करमों में कम नहीं,
देखो नित जल रही,
मरती ही आई है।
👧🏻🔥
पत्नी-बेटी - मां-बहन,
करते जुल्म सहन,
कहां हमारा सम्मान,
सहती ही आई हैं।
💫👸🏻
उठो भारत की नारी,
तुमसे दुनियां सारी,
बनों झलकारी बाई,
कदम उठाई हैं।
🏋♀💐
अत्याचार मिटाने को,
तलवार उठाने को,
काली बनकर हम,
साहस दिखाई हैं।
🌸🇮🇳
*******
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें