*जल/नीर*
मनहरण घनाक्षरी
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जल बिन मिले पीर,
जल बिन हो अधीर,
जग सारा जलता है,
समझ भी जाईये।
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जीवन दायिनी यही,
शीतल जो धार बही,
सबकी बुझाये प्यास,
व्यर्थ न बहाईये।
💦
जल बिन सुना जग,
कष्ट मिले पग - पग,
जल से ही जीवन है,
भूल मत जाइये।
❄
संरक्षण करो जल,
तभी सुनहरा कल,
भावी पीढ़ियों के लिए,
जल को बचाइये।
💧💦
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कुमार कारनिक
(छाल, रायगढ़, छग)
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