कुमार कारनिक

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     कुमार कारनिक
  (छाल, रायगढ़, छग)
     *खेलें होली*
 (मनहरण घनाक्षरी)
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डम - डम   बाजे  ढोल,
बरसे   रंगो   का  घोल,
आपस में  खेलें  होली,
     करें हँसी ठिठोली।
💫🎈
होली   आई   मतवारी,
भर   मारो   पिचकारी,
कान्हा संग खेलें होली,
   करें आँख मिचौली।
🎈💫
गोवर्धन        गिरधारी,
मै हूँ  तेरी  राधा प्यारी,
तू मेरा श्याम  सलोना,
 पिया से आज बोली।
💫🎈
हरे - नीले - पीले - रंग,
गोरी के  भीगें  है  अंग,
लगा   मुझे   प्रेम   रंग,
    आई आई रे होली।
🎈💫



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