मासूम मोडासवी

बदली हुई निगाह सब अरमां जला रही
सरपे  हमारे  देखीये  कैसी  बला  रही


फुरकत ने जिंदगी को परीशां किया बहोत
मनकी  अधुरी  आज भी अरजे वफा रही


नाजुक  सा  दिल  बेचारा  गमसे दबा रहा
हसरत  विसाले  यार  में  टसवे  बहा रही


जीना  तडप  तडप  के  मुकद्दर बना रहा
ये  दोस्ताना सूरत जो  हस्ती  जला  रही


मंजर  नजर के सामने दिलकश सजे रहे
कल्बो  नजर  लुभाती ये बादे  सबा  रही


कोई  तो  बे  रुखीकी  हद्द  होनी चाहीये
उनसे  लगी  उमिद  की मासूम खता रही


                            मासूम मोडासवी


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