ममता कानुनगो इंदौर

विधा-हायकू
*चाहत*
चाहत है तो,
जीवन के सपने,
पूर्ण है सब।
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चाहत है तो,
अपने व पराए,
एक है सब।
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चाहत है तो,
आसमान के तारे,
मुट्ठी में सब।
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चाहत है तो,
समंदर के मोती,
बिखरे अंगना।
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चाहत है तो,
रंगीन तितलियां,
आशा में अब।
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चाहत है तो,
पराजय में जय,
चिर-अजेय।
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चाहत है तो,
कंटक बने फूल,
सुखद शूल।
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ममता कानुनगो इंदौर


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