निशा"अतुल्य"

राधे राधे 


काहे तूने की है चोरी 
6/ 2/ 2020


नटखट कान्हा करे शरारत 
मैया झूठा क्रोध दिखाये है
बांध दिया आँगना में तुमको
दाऊ मंद मंद मुस्काये है ।


काहे तूने माखन खायो
काहे मटकी फोड़ी है ।
झूठ मुठ मैया रोष दिखाये
कान्हा को धमकाये है ।


मैया सगरी झूठ बोलती
माखन मैं नही खायो है
जबरन मोरी बाहँ पकड़ के
मुख मेरा लिपटायो है ।


न जाने क्या बैर है मुझसे
मुझको बांध सतायो है।


मैया नैन नेह छलकाये
पकड़ हृदय लगायो है ।
कान्हा मेरो कितनो भोलो
सब मिल काहे सतायो है ।


आने दे तेरे बाबा को
सबको आज बताती हूँ
जो मेरे कान्हा को सताये
गोकुल से बाहर कराती हूँ ।


छोटो सो कान्हा है मेरो
गैया चराने जाये है 
साँझ सकारे लौट के आये
नित ही तो थक जाये है।


ग्वाल बाल सब खेलन लागे
गोपियाँ काहे सताती हैं 
मेरा कान्हा भोला भाला
झूठे बैर दिखाती हैं ।


कह मैया ने अंक भर लीना
कान्हा मंद मंद मुस्काये हैं।
देख के लीला कान्हा जी की
दाऊ भी भरमाये हैं ।


स्वरचित
निशा"अतुल्य"


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