कान्हा
13.3.2020
मन मोहना रूप तेरा
तेरी मुरली निराली है
मन मोह कर ये मेरा
मुझे जीना सीखाती है।
धुन में मैं डूब गई
ये मुझको सताती है ।
खो जाऊं नैनो में
ये मुझको बुलाती है।
भोला सा मुख तेरा
श्याम रंग ये निराला है
मोर पंख रख माथे पर
कान्हा रूप निराला है।
डाल कदम्ब की याद करे
धुन तुमको सुनानी है
गोपियां डोल रही
राधा रानी बुलाती हैं।
कान्हा पार करो भव से
मेरी प्रीत पुरानी है
ना छोडूंगी मैं तुमको
तुम्हे प्रीत निभानी है ।
स्वरचित
निशा"अतुल्य"
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