निशा"अतुल्य"

सँग
17.3.2020


अरे छोड़ दे मनवा सारे राग
मन बैरागी कर ले आज 
सँग ना कुछ भी जाएगा
मंदिर मंदिर ढूंढ रहा जिसे
झांक ले अपने मन में आज ।


मन बैरागी कर ले अपना
कर ले तू ख़ुद की पहचान


भूखे को  तू खिला दें खाना
और प्यासे को पानी दान
मिल जाएंगे भगवन तुझ को
करले दर्शन भगवन जान ।


मन बैरागी कर ले अपना
कर ले तू ख़ुद की पहचान


प्रेम की गंगा में तू नहा कर 
दूर सभी कर अपने पाप
ख़ुद ईश्वर लेने आएंगे
तुझको अपने बैकुंठ धाम ।


मन बैरागी कर ले अपना
कर ले तू ख़ुद की पहचान।


जीवन आना जाना फेरा
दुनिया तो दो पल का डेरा
कर्म करे वो सँग जाएंगे
नही रहे कुछ अपने पास 


मन बैरागी कर ले अपना
कर ले तू ख़ुद की पहचान ।


स्वरचित
निशा"अतुल्य"


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