नूतन लाल साहू

प्रजातंत्र
जनता दर्द का खजाना है
आंसुओ का समंदर है
जो भी उसे लूट ले
वहीं मुकद्दर का सिकंदर है
क्योंकि भारत में प्रजातंत्र है
सरकार भी क्या करे
किस किस को पकड़े
धर्मात्मा दान,खा रहा है
बेईमान, ईमान खा रहा है
जिसे देखो,वहीं
कुछ न कुछ खा रहा है और
जिसे कुछ नहीं मिला
वो आपके कान,खा रहा है
क्योंकि भारत में प्रजातंत्र है
हमारे देश का, प्रजातंत्र
वह तंत्र है
जिसमे हर बीमारी स्वतंत्र है
बाजार में,जासूसी उपन्यास
रामायण से ज्यादा बिक रहा है
क्योंकि भारत में प्रजातंत्र है
गीता में भगवान,कृष्ण ने कहा है
कर्म करो और फल मुझ पर छोड़ दो
पर क्या बताये मजबूरी
हिंदुस्तान में पैदा हुये थे
कब्रिस्तान में जी रहे है
जब से मां का दूध छोड़ा है
आंसू पी रहे हैं
भगवान जाने
देश की जनता का,क्या होगा
आंसू को मोती और
वेदना को हीरा
समझने वाला,कोई नहीं मिल रहा है
जनता दर्द का,खजाना है
आंसुओ का समंदर है
जी भी उसे लूट ले
वहीं मुकद्दर का सिकंदर है
क्योंकि भारत में प्रजातंत्र है
नूतन लाल साहू


 


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