भजन
दुनिया से, मै जो हारा
तो आया,तुम्हारे द्वार
यहां पे भी,मै जो हारा
तो कहा जाऊं, मै भगवान
सुख में कभी न तेरी
याद जो है, आई
दुःख में सवरिया तुमसे
मैंने है,प्रीत लगाई
सारा दोष है, मेरा
मै करता हूं,स्वीकार
यहां पे भी, जो हारा
कहा जाउ,मै भगवान
सब कुछ,मै गवाया
बस लाज,बाकी है
तुझ पे,कन्हैया मेरी
अब आस टिकी हुई है
सुना है,तुम सुनते हो
हम जैसो की पुकार
यहां पे भी,मै जो हारा
तो कहां जाउ,मै भगवान
मेरा तो क्या है
मै तो पहले से ही,हारा हूं
तुमसे ही पूछेगा, सब
संसार सारा, है
डूबता हुआ,मेरा नईया
तेरे रहते,खेवनहार
यहां पे भी,मै जो हारा
तो कहां जाउ,मै भगवान
जिनको भी,सुनाया कभी
मै, अपना फसाना
सबने बताया है, मुझे
तेरा ही ठिकाना
सब कुछ,छोड़ के आखिर
मै आया,तेरे दरबार
दुनिया से मै जो हारा
तो आया,तुम्हारे द्वार
यहां पे भी,मै जो हारा
तो कहां जाउ,मै भगवान
नूतन लाल साहू
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
नूतन लाल साहू
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