नूतन लाल साहू

बचत का तरीका
मैंने अपने,पत्नी से कहा
पैसे बचाने की आदत
अच्छी है, डियर
पुरानी साड़ी को फाड़कर
सीती हो,मेरा अंडर वियर
मेरा कुर्ता भी, अपनी
रेशमी साड़ी से,निकाल दो
साड़ी के किनारी,वाला हिस्सा को
आस्तीन और गले पर, डाल दो
साड़ी चल चुकी हैं,दस साल
कुर्ते भी कुछ साल,चल जाएंगे
बचत का ये तरीका है आसान
एक दिन बात की बात में
बात बढ़ गई
मेरी घरवाली,हमसे ही लड़ गई
वो बोली, जो कमा कर खिलाते हो
सभी खिलाते हैं
तुमने आदमी,नहीं देखे है ऐसे
झूले में झुलाते है
मैंने भी कहा
उनके घर,जाकर देखना
पति के लिए झगड़ा नहीं
आरती सजाते हैं
उस दिन,खाना नहीं बना
मैंने कहा,चलो एक दिन का
खाने का खर्चा,बच गया
पर ये तरीका,आप मत अपनाना
क्योंकि बचत का ये अंदाज
है सबसे बड़ा,खतरनाक
मैंने कहा,माना कि मै बाप हूं
तुम भी तो, मां हो
बच्चो के जिम्मेदार
तुम भी तो,हाफ हो
बच्चे हो गये,आठ आठ
अभी एक रुपया किलो में
चावल मिल रहा है
बिहान योजना से
जिन्दगी चल रहा है
जिस दिन होगी,अधिक तंगी
पुराना पेटीकोट
जो तुम कमर में बांधती हो
मै गले में,बांध लूंगा
सारा तन,उसी में ढांक लूंगा
इससे बढ़कर बचत का और
क्या हो सकता है,अलौकिक उपाय
बचत का ये तरीका है,सबसे आसान
नूतन लाल साहू


 


 


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