हम नतमस्तक है
दीवाली गया,होली गया
आयेगा नवरात्रि की त्यौहार
पर्वो का क्रम,चलता ही रहेगा
ग्राहक पीला और दुकानदार
होता ही,रहेगा लाल
स्वाईन आया, कोरोना आया
आयेगा नया नया बुखार
ईमान को,भट्टी में झोककर
फायदे की ही,कर रहा है हर कोई बात
किस्मत में क्या बदा है,पता नहीं
फिर भी,सब है ईमानदार
ग्राहक पीला,होता रहेगा
दुकानदार होता ही,रहेगा लाल
किसी के,आंसुओ से
हर किसी को,क्या लेना देना
तिजोरी में,बंद है
लहलहाते खेत की,मुस्कान
रासायनिक खाद,दवाई के चलते
अन्न, पेट भरने का माध्यम है बना
अपनी ही,लाश ढो,रहा है
गरीब बच्चो का कंधा
ग्राहक पीला होता ही रहेगा
दुकानदार होता ही रहेगा लाल
मोबाईल के टावर में मित्रो
सरपट समाया जा रहा है
मानव का खुशनुमा जीवन
मजबूरी कहो या बेपरवाह कह लो
हम बढ़ा रहे है
पर्यावरण प्रदूषण
दीवाली गया,होली गया
आयेगा नवरात्रि की त्यौहार
पर्वो का क्रम,चलता ही रहेगा
ग्राहक पीला होता ही रहेगा
दुकानदार होता ही रहेगा लाल
ये है आम बात
छोटे दुकानदार मत होना नाराज
क्योंकि मेरा कथन
भगौड़ों के लिए है,खाश
विनाश की लीला को हम
आंख बंद कर देख रहे है,आज
ग्राहक पीला होता रहेगा
दुकानदार होता ही रहेगा,लाल
नूतन लाल साहू
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
नूतन लाल साहू
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