छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया
चारो खुट,छाय हे, कुलूप अंधियार
तभो ले संगी,हिम्मत झन हार
सबले अलग हे,छत्तीसगढ़ के रीत
सबले सुग्धर हे,हमर धरम नीति
भुइंया म हावय, दान दया धरम
तियाग तपस्या अरपन ऊंचा करम
जग म हिंसा घिरना के,खेल चलत हे
सुर दुर्लभ,मानव तन पा के
भाई भाई कटत मरत हे
छत्तीसगढ़ ह,अन्न बाटिस जग ल
अब जग ल बाटना है,मानव धरम ल
चल उठ एक ठिन,दिया ल तो बार
चारो खुट छाय हे, कूलुप अंधियार
तभो ले संगी, तै हिम्मत झन हार
सबो दिन एके सही, नइ होय
मनखे के चिन्हारी, विपत म होथे
समे के खेल आय, सहि ले विपत पीरा
कोरोना वायरस ह,फइलत हे
संकट ह, एकदिन टर जा ही
हिम्मत झन हार,भरोसा ल राख
रतिहा कूलूप अंधेरी हे, त का होइस
बिहनिया सुरुज आ ही, धीर धर
छत्तीसगढ़िया,सबले बढ़िया
चल उठ एक ठिन,दिया ल तो बार
चारो खुट छाय हे, कुलूप अंधियार
तभो ले संगी,तै हिम्मत झन हार
नूतन लाल साहू
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
नूतन लाल साहू
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