पूर्णिमा शर्मा "पाठक"                   अजमेर (राज.)

कोरोना वायरस


चली जो कोरोना की बात।
जगत में मौतों की बरसात।
बन गया जीवन में अभिशाप।
इसे भगाने हेतु रखे, नियम संयम का  साथ।
संस्कृति सदा अपनी भारतीय ही अपनाए।
नमस्कार से मान बढ़ाए।
मांस मदिरा पास ना लाए।
शाकाहारी भोजन खाए।
मास्क लगाए हर चेहरे पर।
हाथो में स्वच्छता अपनाए।
यात्राओं को टालते जाए।
माने चिकित्सको की बात।
चली है कोरोना की बात।
ये बन बैठा हैं अभिशाप।
शादी, पार्टी, सैर सपाटे।
कुछ माह तक दूरी बनाए।
विनय यही कर रही सरकार।
मान लो भाइयों, मान लो बहनो।
पहुँचा दो हर घर ये बात।
चली जो कोरोना की बात।
जगत में मौतों की बरसात।
        ----///----///------


                     स्वयं रचित


                पूर्णिमा शर्मा "पाठक"
                  अजमेर (राज.)


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...