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वादों ने भूगोल को' बदला, जुमलों ने इतिहास।
आजादी के बाद देश में, ऐसे हुआ विकास।
नयनों के सागर में उमड़े, जब भी कड़वे प्रश्न।
राजनीति ने तभी दिखाये, आसमान से स्वप्न।।
टूटा रोज भरोसा जन का, छला गया विश्वास।
वीर सैनिकों ने झेला नित, दुश्मन का भूचाल।
और किसानों के हिस्से में, आयी बस हड़ताल।।
लिखा भूख ने निर्धनता के, माथे पर मधुमास।
रोती रही रक्त के आंसू, उम्मीदों की दूब।
खादी ओढ़े खाकी बोली, वाह वाह जी खूब।
संविधान के साथ सड़क पर, नित्य हुआ परिहास।।
प्रदीप कुमार "दीप"
सुजातपुर, सम्भल(उ०प्र०)
मो०-8755552615
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