*सुप्रभातम्*
(कन्नौजी रस रंग)
*याचना प्रभु से.....*
संकट टारौ संकट मोचन, बजरंग सहाय होवहु प्रभुवर।
अखिल विश्व मँह घन संकट कै, भ़य व्यापक कज़ा टरै सत्वर।।
हे रामदूत हनुमंत लाल , विपदा को ओर न छोर कहूँ,
हौं सरन तुम्हारी प्रणति प्रखर, सुख चैन निरोग रहें घर-घर।।
तुमनै सुरसा कै पत राखी , गए लांघि जलघि शत योजन धर।
सुधि लीन्ह जानकी लंक जारि, अति भयाक्रांत खल दशकंधर।।
द्रोणागिरि जाय संजीवनि लई, सौमित्र कै प्रान पचास लीन्ह,
सोई कृपा करौ विपदाहारी, निष्कंटक जीवन जय हरिहर।।
*प्रखर दीक्षित*
*फर्रुखाबाद*
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें