शीर्षक - 'मेरे गीत'
विधा -गीत
मेरे अधरों पर गीतों का , अब राग दिखायी देता है।
शब्द से भीगी बारिश में , संगीत सुनायी देता है ।।
विरह वेदना की ज्वाला में,
अश्रु से डूबी मधुशाला में,
क्यूँ उनसे मिलने की खातिर,
विश्वास दिखायी देता है ।
मेरी धड़कन गीत बुन रही , वह गीत दिखायी देता है।
शब्द से भीगी बारिश में , संगीत सुनायी देता है ।।
हाय ! नियति के इन पाशों से,
मत बाँधो अपनी साँसों से,
क्यूँ अंत समय जीवन में अब,
मधुमास दिखायी देता है ।
गीतों की महफिल के अंदर,हर गीत दिखायी देता है ।
शब्द से भीगी बारिश में , संगीत सुनायी देता है ।।
लहर पीर की रह - रह उठती,
कागज कश्ती झिलमिल करती,
क्यूँ पार उतर जाने में तब,
संताप दिखायी देता है ।
मेरे अधरों पर गीतों का , अब राग दिखायी देता है।
शब्द से भीगी बारिश में , संगीत सुनायी देता है ।।
स्वरचित /मैलिक
राहुल मौर्य 'संगम'
गोला लखीमपुर खीरी उत्तर प्रदेश
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