राजेंद्र रायपुरी।

एक ग़ज़ल,
            आपकी नज़र - -


अब तिरंगे का है सिर ऊॅ॑चा हुआ।    🇮🇳       🇮🇳       🇮🇳       🇮🇳


मारते  ताने  सभी  तो  क्या  हुआ। 
वो तो दिखता यार बस हॅ॑सता हुआ।


हर  तरह  की  झेलता  बदनामियाॅ॑, 
पर न दिखता ग़म में वो डूबा हुआ।


और चिंता कुछ  नहीं उसको सुनो, 
सोचता  है  हिंद क्यों पिछड़ा हुआ।


चाह उसकी  बस सुरक्षित  देश हो,
ध्येय वो अपने  दिखे  बढ़ता हुआ।


बैर उसको  तो  किसी  से  है  नहीं,
क्यों कहें तलवार बन लटका हुआ।


देश   को  उसने  दिलाया  मान  है,
अब तिरंगे का है  सिर ऊॅ॑चा हुआ।


चुभ रहा काॅ॑॑टा क्यूॅ॑ बन हर आॅ॑ख में,
देश  ख़ातिर  जो  कि है  पैदा हुआ।


            ।। राजेंद्र रायपुरी।।


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