राजेंद्र रायपुरी

दोहा छंद पर एक मुक्तक - - 


इक नेता का हो गया,
           आज नया अवतार।
बदले-बदले से दिखें,
             बदले बात विचार।
जाने  कैसी  यार  ये, 
              नेताओं की जात।
दल बदलें तो केकटस,
              लगे फूल का हार।


       ।। राजेंद्र रायपुरी।।


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