😊😊 हुआ नहीं अंधेर। 😊😊
देर हुई है मानिए,
हुआ नहीं अंधेर।
फाॅ॑सी पर चढ़े ही गए,
चारो देर सबेर।
नौटंकी थी हो रही,
और न्याय उपहास।
मातु-पिता की सच कहूॅ॑,
टूट रही थी आस।
सात साल ब्याकुल रहे,
पर था ये विश्वास।
होगी देर मगर नहीं,
कभी न्याय उपहास।
मन मेरे संतोष है,
कहते हैं वे आज।
दुष्कर्मी फाॅ॑सी चढ़े,
बची न्याय की लाज।
दुष्कर्मी अब तो डरो,
करो नहीं तुम पाप।
होगी देर भले सुनो,
देंगे गरदन नाप।
।। राजेंद्र रायपुरी।।
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