राजेंद्र रायपुरी

😌  दर्द किया महसूस  😌


दर्द किया  महसूस  सभी ने।
कैद पड़ा जब ख़ुद को होना।
खोल दिया पिंजरा देखो अब,
जो  था  बरसों  पहले  होना।  


दर्द    न   कोई   दूजा   जाने। 
और अक्ल  न आए  ठिकाने।
जब तक ख़ुद पर यार न बीते।
तब   तक    दौड़ें  जैसे   चीते।


जब  विपदा ख़ुद  पर है आई।
चेत    गए     हैं    सारे   भाई। 
बंद  न  पिंजरे  पंछी  अब  हैं।
 मुक्त  गगन  में  उड़ते  सब हैं।


        ।। राजेंद्र रायपुरी।।


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