😌 है हाथ जोड़ विनती यारो 😌
बाज़ार गर्म अफ़वाहों का,
है बाॅ॑ध सब्र का तोड़ रहा।
संकल्प लिया था हमने जो,
जन मुख है उससे मोड़ रहा।
जब प्रबल उदर की चिंता हो,
तब देश-धर्म का ध्यान कहाॅ॑।
जो भूख न पल को सह पाए,
देगा वो फिर बलिदान कहाॅ॑।
कुछ यज्ञ भंग को आतुर हैं।
भेज़ा ही जिनका शातिर है।
चाहत प्रयास मत होय सफल,
उठ रहे कदम इस ख़ातिर हैं।
समझो - समझो ऐ नादानों।
मुखिया का तुम कहना मानो।
मर जाएॅ॑गे सब ऐसे में,
तुम देश नाश की मत ठानो।
अफ़वाहों पर दो ध्यान नहीं। जाएगी बिल्कुल जान नहीं।
बस धैर्य तुम्हें कुछ रखना है,
तुम होगे हालाकान नहीं।
तुम चिंतित हो सब जान रहे।
कुछ हुई कमी यह मान रहे।
पर विपदा है ये बहुत बड़ी,
इसका भी तुमको ध्यान रहे।
मत लक्ष्मण रेखा पार करो।
मिल सब विपदा पर वार करो।
है हाथ जोड़ विनती यारो,
न देश का बंठाधार करो।
।। राजेंद्र रायपुरी।।
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