सरसी छंद पर एक रचना --
जीना-मरना हाथ उसी के,
अगर सही है यार।
आए "कोरोना" या कुछ भी,
डरना है बेकार।
जिस दिन जाना है इस जग से,
लाखों करो उपाय।
छोड़ दे पंछी पिंजरे को,
पल एक न रह पाय।
खाना-पीना मौज उड़ाना,
होली के त्यौहार।
सावधान रहना बस थोड़ा,
विनय यही है यार।
रबड़ी खीर मलाई खाओ,
करो मांस का त्याग।
नाचो कूदो मौज मनाओ,
गा-गा कर तुम फाग।
।। राजेंद्र रायपुरी।।
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