पीयूष पर्व छंद पर एक रचना - -
हे विधाता हाय तूने क्या किया।
खून से आॅ॑चल धरा का भर दिया।
पूछती माॅ॑ भारती तुझसे यही।
किस जनम का आज है बदला लिया।
फिर न ऐसे दिन दिखाना हे प्रभो।
लाश ऐसे मत बिछाना हे प्रभो।
काॅ॑पती है रूह मंज़र देखकर,
जल गया सब का ठिकाना हे प्रभो।
दोष जिनका था नहीं मारे गए।
पूत मां के देख ले प्यारे गए।
द्वेष की आॅ॑धी चली ऐसी यहाॅ॑,
राम या रहमान हों सारे गए।
।। राजेंद्र रायपुरी।।
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