😌😌 एक बाल- गीत 😌😌
मुर्गे ने जब बाॅग लगाई।
बिल्ली दौड़ी दौड़ी आई।
मुर्गा उड़कर छत जा बैठा,
बिल्ली बोली आ जा भाई।
तेरा नहीं शिकार करूॅ॑गी।
आजा तुझसे प्यार करूॅ॑गी।
कुत्ते से भी मत तू डरना,
कुत्ते पर मैं वार करूॅ॑गी।
बातें सुन मुर्गा जब आया।
बिल्ली ने उसको दौड़ाया।
दिया वचन था मुर्गे को जो,
बिल्ली ने ना उसे निभाया।
मुर्गा भागा जान बचाकर।
किया गलत था नीचे आकर।
पीछे-पीछे बिल्ली दौड़ी,
पेट भरूॅ॑गी इसको खाकर।
लेकिन उसको पकड़ न पायी।
जा बैठा फिर ऊपर भाई।
धोखे-बाजों से बचना है।
मुर्गे ने ये शिक्षा पायी।
तुम भी उनसे बचकर रहना।
मेरी नानी का है कहना।
जो लालच में आ जाता है,
उसे कष्ट पड़ता है सहना।
मीठी बातों में मत आना।
बुरा बहुत है आज ज़माना।
उनसे तुम बचकर ही रहना,
जो चाहें तुमको फुसलाना।
।। राजेंद्र रायपुरी।।
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