😊 मामा जी फिर आ गए 😊
मामा जी फिर आ गए,
लिए कमल को हाथ।
कमल,नाथ से छिन गया,
अब हैं केवल नाथ।
राजनीति अरु प्रेम में,
सब कुछ जायज़ यार।
जाने कब किसके गले,
कौन डाल दें हार।
छोड़ गए कुछ हाथ को,
और नाथ का साथ।
भाया उनको कमल ही,
नहीं कमल का नाथ।
जनसेवा के नाम पर,
हुआ सियासी खेल।
लार बहुत टपका लिया,
खाएॅ॑गे अब भेल।
कोरोना का भय दिखा,
मामा के मुख साफ।
बढ़ा ग्राफ तो फिर उन्हें,
कौन करेगा माफ़।
।। राजेंद्र रायपुरी।।
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