👨👧👧👨👧👧 एक गीत 👨👦👦👨👦👦
(होरी आवन को है सखी री)
होरी आवन को है सखी री,
आए नहीं बलमुआ मोरे।
डर लागे ये गाल गुलाबी,
रह जाएं मत कोरे कोरे।
रंग न भाए कोई मोहें,
बिन साजन के मान सखी री।
सच कहती हूॅ॑ अपने जैसे,
तू मुझको मत जाना सखी री।
नींद आज- कल खुल जाती है,
आधी रात, बिहिनिया भोरे।
होरी आवन को है सखी री,
आए नहीं बलमुआ भोरे।
कैसे उनसे बात करूॅ॑ मैं,
कहते उनसे बात डरूॅ॑ मैं।
सरहद पर वो आज खड़े हैं,
क्यों मन में कुछ पीर भरूॅ॑ मैं।
मन में संशय रोज़ अनेकों,
मार रहे हैं सखी हिलोरे।
होरी आवन को है सखी री,
आए नहीं बलमुआ मोरे।
मन में अगर उमॅ॑ग नहीं तो,
फिर क्या होरी बोल सखी री।
पियवा जब है संग नहीं तो,
फिर क्या होरी बोल सखी री।
बंद किवाड़ रखूॅ॑गी मैं तो,
आ मत जाएॅ॑ गाॅ॑व के छोरे।
होरी आवन को है सखी री,
आए नहीं बलमुआ मोरे।
।। राजेंद्र रायपुरी।।
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