राजेंद्र रायपुरी

😌   हो रही कैसी सियासत   😌


देख  कर  मंज़र  समझ  में आ रहा है। 
कौन किसको और क्यों भड़का रहा है।


जानते  तो  आप  भी  हैं  क्या कहूॅ॑  मैं,
क्यों ज़हर का  बीज  बोया  जा रहा है।


चल  रहे  हैं  चाल  वे सब सोचकर ही,
ताज  दूजे  सिर न उनको  भा  रहा है।


हुक्मरानों  की  फ़जीहत हो रही जब, 
तब  मज़ा  उनको बहुत ही आ रहा है।


कौन  है वो  सोचिए  ख़ुद क्या कहूॅ॑ मैं, 
कौन   दंगा   देश   में   फैला   रहा  है।


हो रही कैसी  सियासत आज-कल ये,
ताज ख़ातिर  ख़ूं  बहाया  जा  रहा है।


              ।। राजेंद्र रायपुरी।।


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