🤣 भंग -तरंग में लिखे कुछ दोहे 🤣
लाल गाल हम देखकर,
कर बैठे थे प्यार।
होली का वो रंग था,
पता नहीं था यार।
भंग पिया को चढ़ गई,
देखो उनका हाल।
बीबी समझ गुलाल वो,
मलें पड़ोसन गाल।
चाॅ॑द अमावस का लगे,
गोरी तू तो आज।
आ मूरख का मैं रखूॅ॑,
तेरे सिर पर ताज।
साली जी चाहें उन्हें,
जीजा डालें रंग।
जीजी के तेवर मगर,
देख हुई वो दंग।
बीबी बोली आ पिया,
मल दे गाल गुलाल।
पिया कहें गुलाल मले,
होय न कोयल लाल।
।। राजेंद्र रायपुरी।।
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