राजेंद्र रायपुरी

😊😊 सियासी खेल 😊😊


होली पर होता रहा,
                 खूब सियासी खेल।
छोड़ गए कुछ कमल को, 
                करन कमल से मेल।


जिनके हक़ को रोज ही, 
                     मार रहे थे नाथ।
मजबूरी में क्या करें, 
                   छोड़ गए वो साथ।


चाह सभी की है यही, 
                 जुड़ें कमल के साथ।
जहाॅ॑ मान श्रम को मिले, 
                   पकड़ें उसका हाथ।


देखें किस करवट अभी, 
                        बैठ रहा है ऊॅ॑ट।
अमिय कौन है पी रहा, 
                   कौन ज़हर की घूॅ॑ट।


          ।। राजेंद्र रायपुरी।।


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...