रचनाकार:डॉ० रामबली मिश्र हरिहरपुरी

"मेरी पावन मधुशाला"


कलुषित-दूषित क्रिया विरोधी आज बना मेरा प्याला,
गंदे भावों के विरुद्ध युद्धरत आज दीखती है हाला,
नियम विरोधी गतिविधियों से लड़ता जंग सबल साकी,
बनी सुरक्षा कवच मचलती मेरी पावन मधुशाला।


ईश्वरीय सत्ता में आस्था रखता है मेरा प्याला,
सदा अधर्मी घोर कुकर्मी हेतु विषधरी है हाला,
अरिमर्दन करता प्रति पल है देव शक्ति सम मम साकी,
परम सुन्दरी स्वच्छ व्यवस्था की हिमायती मधुशाला।


सदा पुण्य के धाम में विचरण करता है मेरा प्याला,
धार्मिकता के लिये समर्पित है मेरी हार्दिक हाला,
धर्म मार्ग का सत्य प्रणेता मेरा धार्मिक साकी है,
सदधर्मी शिव-सत्कर्मी के धाम सदृश है मधुशाला।


शुभ कर्मों से प्रेम जिसे हो  उसके कर में हो प्याला,
सुन्दर भाव जिसे अति प्रिय हो वही चखे मेरी हाला,
पावनता की सदा दुहाई जो दे वह मेरा साकी,
परम पवित्र विचार-धाम सी मेरी पावन मधुशाला।


ईशप्रेम का अति अनुरागी है मेरा कंचन प्याला,
ईश्वरीय आस्था की पोषक है मेरी सच्ची हाला,
ईश्वरीय लीलाओं का संवाहक मेरा साकी है,
ईश-व्यवस्था धर्म-व्यवस्था नीति-व्यवस्था मधुशाला।


रचनाकार:डॉ० रामबली मिश्र हरिहरपुरी ।
9838453801


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