"श्री सरस्वती अर्चनामृतम"
बनी दयाशंकर सहज सदा करो उपकार।
हे सरस्वती माँ तुम्हीं सकल रोग-उपचार।।
दमन दया अरु दान तुम्हीं हो।ज्ञान धरोहर मान तुम्हीं हो।।
याद तुम्हारी नित आती है।मन-फरियाद सुना करती हो।।
शंभु तुम्हीं शिव अविनाशी हो।गंगा-शारद शिवकाशी हो।।
करुण रसामृत एक तुम्हीं हो।शांत निराला पंथ तुम्हीं हो।।
रमण करो माँ उर में आकर।मेरा हृदय बने तेरा घर।।
पांडव नीति तुम्हीं हो माता।सत्य-न्यायप्रिय प्रेम विधाता।।
डेरा डालो सदा अलौकिक। हंसवाहिनी वीणा मौलिक।।
यहीं रहो माँ हरिहरपुर में।दो माँ दीक्षा अन्तःपुर में।।
जीवन को खुशहाल बनाओ।सुन्दर पुस्तक बनकर आओ।।
सात्विकता का भाव भर कर सबका उद्धार।
कृपा तुम्हारी से बने शिवमय यह संसार।।
रचनाकार:डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी ।
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