9920796787****रवि रश्मि ' अनुभूति '
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नारी
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मनहरण घनाक्षरी छंद
8 , 8 , 8 , 7
नारी के कई रूप हैं,
नारी देवी स्वरूप है ,
जीवन की ही धूप है ,
समझ तो जाइये ।
नारी से ही संसार है ,
लेती न प्रतिकार है ,
सबकी ही बहार है ,
जान ज़रा लीजिये ।
उड़ी जाये डाली डाली ,
दुनिया भी है सँभाली ,
रहे न कभी भी खाली ,
हाथ तो बँटाइये ।
सीता सावित्री है वह ,
दुर्गा है व देवी वह ,
आँगन तुलसी वह ,
सत्कार कर जाइये ।
जीवन का है आधार ,
खुशियों का पारावार ,
अनुशासन तैयार ,
पूजा कर जाइये ।
दुखड़ा भी सुनती है ,
सपने भी बुनती है ,
गुण सारे गुनती है ,
साथ बैठ जाइये ।
बेटी तो आज्ञाकारी है ,
संस्कार भरी नारी है ,
साख भी तो भारी है ,
गुणों भरी पाइये ।
अनुसरण करना ,
पहचान तो बनना ,
परिस्थिति में तनना ,
दुख भूल जाइये ।
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(C) रवि रश्मि ' अनुभूति '
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