उत्प्रेक्षा अलंकार से सज्जित दोहे
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1 )
उजास चेहरे छाया , चमका ज्यों है भाल ।
धवल छा गयी चाँदनी , करती खूब धमाल ।
2 )
फूले फ़सल खड़ी रखो , छवि सुंदर सी धार ।
धानी ओढ़ी चुनरिया , दुल्हन ज्यों है नार ।।
3 )
टेसू खिलते दहकते , लगे लगी ज्यों आग ।
टेसू फूले कह रहे , आया है अब फाग ।।
4 )
चमके धवल चंदनिया , ठंडक लायी साथ ।
हाथ हाथ में ले चले , मानो हो बारात ।।
5 )
विरहन तड़पे साजना , ज्यों तड़पे है मीन ।
तुम तो जाते ओ पिया , लिए सभी सुख छीन ।
(C) रवि रश्मि 'अनुभूति '
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