संदीप कुमार बिश्नोई

जय माँ शारदे
गंगोदक सवैया
आठ रगण


शैलपुत्री सुनो कष्ट माता हरो आपके द्वार पे हाथ जोड़ें सभी। 


आप ही हो उमा आप ही हो रमा माँ हरो ताप आ के हमारे अभी ।


माँ करूं वंदना आपकी मैं सदा कीजिए भक्त पे माँ कृपा तो कभी। 


माँ उजाला करो ज्ञान का दान दो पीर भी ये धरा की मिटेगी तभी। 


स्वरचित
संदीप कुमार बिश्नोई


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