संजय जैन,बीना (मुम्बई)

*होली का रंग*
विधा: कविता


तुम्हें कैसे रंग लगाए,
और कैसे होली मनाए?
दिल कहता है होली,
एकदूजे के दिलों में खेलो।
क्योंकि बहार का रंग तो,
पानी से धूल जाता है।
पर दिल का रंग दिल पर,
सदा के लिए चढ़ा जाता है।।


प्रेम मोहब्बत से भरा,
ये रंगों त्यौहार है।
जिसमें राधा कृष्ण का,
स्नेहप्यार बेसुमार है।
जिन्होंने स्नेह प्यार की, 
अनोखी मिसाल दी है।
और रंगों को लगाकर,
दिलोंकी कड़वाहटे मिटाते है।।


होली आपसी भाईचारे
और प्रेमभाव को दर्शाती है।
और सात रंगों की फुहार से,
7-फेरो का रिश्ता निभाती है।
साथ ही ऊँच नीच का,
भेदभाव मिटाती है।
और लोगों के हृदय में 
भाईचारे का रंग चढ़ती है।।


*होली की शुभकामनाएं और बधाई।*


जय जिनेन्द्र देव की
संजय जैन,बीना (मुम्बई)
10/03/2019


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