*मन करता है*
विधा: कविता
दिल के झरोको से,
प्यार झलकता है।
आपकी वाणी में,
अपनापन दिखता है।
तभी तो आपसे निगाहें,
मिलाने को मन करता है।
और तुम्हें दिल से,
अपनाने का मन करता है।।
कौन कहता है कि तुम,
दिल नहीं लगा सकते।
और किसी को अपना,
बन नही सकते।
क्योंकि दोस्तो ये,
दिलका मामला है।
जिसे पत्थर दिल,
निभा नहीं सकते।।
फूलों की तरह सुंदर हो,
दिल से भी सुंदर हो।
इसलिए कहता हूं की,
तुम खिलता हुआ गुलाब हो।
तभी तो दिल करता है,
कि तुम्हें देखता ही रहूं।
और अपने दिल को,
थोड़ा शीतल कर सकूं।।
जय जिनेन्द्र देव की
संजय जैन (मुम्बई)
06/03/2020
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