*सच्चे माता-पिता बनो*
विधा : लेख
आज का विषय बहुत ही संवेदनशील है। जिसकी आज हर परिवारों को बहुत ही जरूरत है ।की आप कैसे सच्चे और अच्छे माता पिता बने। जिससे
आपके परिवार का वातावरण आपके घर के अनुकूल रहे।
पुत्र नाटक में जाए, सिनेमा में जाए, गलत रास्ते पर चल पडे,भक्ष्य-अभक्ष्य का खयाल न करे तो आज लोग रोकते तक नहीं हैं और कहते हैं कि समय की हवा है। यदि पुत्र पूजा नहीं करे, उपाश्रय में नहीं जाए तो कहेंगे कि इस पर अध्ययन का बोझा अधिक है। आप सम्यग्दृष्टि माता-पिता हैं न? आप हितैषी संरक्षक होने का दावा करते हैं न? आप कैसे उनके हितैषी हैं? कैसे संरक्षक हैं? आपने कभी यह जांच की है कि आज उनके कानों में कितना पाप-विष भरा गया है? आधुनिक वातावरण,दृश्य-श्रव्य माध्यमों द्वारा आपकी संतान में आज कितने कुसंस्कार पैदा किए जा रहे हैं? यदि इन सब बातों का ध्यान न रखो, इनकी जांच न करो तो आप कैसे उनके हितैषी हैं?
संप्रति राजा, राजा बनकर हाथी पर सवारी कर के माता को प्रणाम करने आए। तब उनकी माता ने कहा, ‘मेरे संप्रति के राजा बनने की मुझे खुशी नहीं है, परन्तु यदि वह धर्म की प्रभावना करे तो मुझे अपार हर्ष होगा।’ ऐसी होती है माता। और इसी राजा संप्रति ने सवा लाख मन्दिरों का निर्माण करवाया। आज की माताएं क्या कहती हैं? माता-पिता तो सब बनना चाहते हैं, बच्चों की अंगुली पकडकर सबको चलना है। अपनी आज्ञा भी सब मनवाना चाहते हैं, लेकिन ऐसी इच्छा करने वालों को स्वयं में पितृत्व एवं मातृत्व के गुण तो लाने चाहिए न? माता-पिता यदि सही मायने में माता-पिता नहीं बनेंगे तो पुत्र कभी सुपुत्र नहीं बन सकते। मैं उन्मत्त पुत्रों का पक्षधर नहीं हूं, परन्तु जैसे पुत्रों को सचमुच सुपुत्र बनना चाहिए, उसी तरह माता-पिता को भी सच्चे माता-पिता बनना चाहिए।
*जय जिनेन्द्र देव की*
संजय जैन (मुंबई )
27/03/2020
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