*भूल जाते है....*
विधा : कविता
किस बात पर गम करे,
और किस बात पर हँसे।
इंसान की सोच है तो,
कुछ तो वो करेगा ही।
वैसे ज्यादातर लोग तो,
जख्मो पर नमक लगाएंगे ।
और उसके एहसानों को,
अच्छे दिनों में भूल जाएंगे।।
इंसान की फिदरत होती है
।
जो बुरे वक्त में,
साथ देने वाले होते है।
उन्हें अक्सर भूल जाते है।
और अपने फायदे के लिए,
दुश्मनों को गले लगाते है।
और अपनों का दिल,
वो जरूर दुखाते है।।
इस तरह से कितने लूट गये,
अपनो के हाथों से।
और कितने अभी,
लूटने को बाकी है।
जो उनका नहीं हुआ,
जिन्होंने उसे बचाया था।
उसकी डूबती हुई नैया को,
किनारे लगवाया था।
अब कलयुग का जमाना है,
इंसान ही इंसान को खाता है।।
जय जिनेन्द्र देव की
संजय जैन (मुम्बई)
02/03/2020
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें