कैसे छोड़ू नटवर तुमको
तुम जीवन धन हो मेरे
मेरे मन मंदिर में प्रभुवर
बस शोभित विग्रह तेरे
गो लोक हो या धरा लोक
मैं तो रहूंगी साथ तुम्हारे
मुझ राधा के नटवर नागर
मैं तो छोड़ू न दामन प्यारे
नाचो गाओ व रास रचाओ
पर अपनी राधा के संग
राधा नहीं है प्रेयसी केवल
पुरुषोत्तम का अर्ध अंग
सत्य करें आग्रह मुरलीधर
कभी अलग नहीं होना
बृषभानु सुता के संग नाथ
मुझे कृतार्थ करते रहो ना।
श्री युगलरूपाय नमो नमः💐💐💐💐💐🙏🙏🙏🙏🙏
सत्यप्रकाश पाण्डेय
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