सत्यप्रकाश पाण्डेय

निर्भया कांड 


एक अध्याय का समापन
निर्भया को इंसाफ मिला
अमानवीय कृत्य जिनका
उन्हें कुकृत्य का दंड मिला


सौ बार सोचेंगे अब दरिंदे
घिनोने कर्म करने के लिए
मिलेगी आत्मा को शान्ति
निर्भया की रूह के लिए


न्याय प्रति विश्वास जगेगा
बेटियों को संबल मिलेगा
संस्कृति की रक्षा होगी तो
संस्कारों को पोषण मिलेगा


काश सबक ले ले समाज
अंजाम न ऐसी वारदात को
मिले न राष्ट्र को शर्मिंदगी
कोई करे न घ्रणित काम को


नारी नहीं है भोग की वस्तु
अपितु सम्मान है राष्ट्र का
सृजेता है सकल सृष्टि की
यह गौरव हॄदय सम्राट का


बेटी है बहिन है माता यह
है देवी स्वरूपा पूजनीया
हुआ विध्वंस वसुंधरा पर
जब इसे अपमानित किया


बेटी बचाएं व बेटी पढ़ाएं
अब रोपें सदभावों के चमन
नारी प्रति कुंठित भावों को
आज मिलकर कर दें दफन।


सत्यप्रकाश पाण्डेय


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...