प्रेम विवश बंधन में बंध गये
देखो जगत बंधन काटन हार
कैसा सौभाग्य यशोदा मैया
करें अठखेली जग पालनहार
बालक्रीड़ा कर स्वयं खेल रहे
वो खिला रहे जग के नर नार
मायापति की माया को जाने
जाकी सृजना ये सकल संसार
हे जगदीश्वर मैं बालक हूं तेरों
तेरे मायाजाल से सदा दूर रहूँ
जैसे दीपक पर आशक्त पतंगा
चरणों में झुकने पै मजबूर रहूँ।
श्रीकृष्णाय नमो नमः 🙏🙏🙏🙏🙏🌹🌹💐💐🌸
सत्यप्रकाश पाण्डेय
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