जबसे तुमसे प्रीति हुई है,मैं तो भूल गया जग सारा।
मोह ममता से नाता तोड़, निशदिन स्मरण तुम्हारा।।
हे बृजेश और बृज की रानी,अनुपम छवि तुम्हारी।
मोर मुकुट माथे पर राजे,संग सोहें बृषभानु दुलारी।।
मेरी जीवन ज्योति है तुमसे,हे परमज्योति परमानन्द।
युगलरूप के दर्शन पाकर,मन प्रमुदित मिले आनन्द।।
हे जगतभूषण जगतात्मा,सदा सत्य पर रहे अनुग्रह।
सदा सानिध्य मिले नाथ, युगलछवि कौ सहूँ न विरह।।
युगलरूपाय नमो नमः🍁🙏🙏🙏🙏🙏🍁
सत्यप्रकाश पाण्डेय
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