हुओं कृष्णमय मेरों जीवन
मोय कृष्ण की याद सतावै
नाते रिश्ते छोड़ के मनुवा
अब तौ कृष्णा कृष्णा गावै
रोम रोम में बसौ है साँवरों
मैं एक पल भूल न पाऊँ
गोविन्द सुं ये मिली जिंदगी
मैं गोविंद के ही गुण गाऊं
रंगों श्याममय मेरों चोला
वा श्याम से विलग रहूँ ना
जर्रा जर्रा ही श्याम पुकारे
अब मुख से कछु कहूँ ना
मेरे माधव हे मेरे गिरिधर
स्वामिन तेरों रंग हटें ना
प्रेम रंग में मोय डुबोकर
प्रभु चरणों से दूर करो ना।
सत्यप्रकाश पाण्डेय
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