हे परमज्योति मेरा जीवन आलोकित कर दो
अंधकार मिटे हिय का मुझे प्रकाशित कर दो
भाग्य सृजेता जगभूषण हृदय अलंकृत कर दो
करुणाधार जगदीश प्रभु ज्ञान हृदय में भर दो
साथ न छूटे राधेरानी का न रहों पल बंशी से दूर
वैसे स्वामी साथ रहूँ मैं करते रहना मुझे मजबूर
हे युगलछवि सदा सत्य का तेरे चरणों में स्थान रहे
आँखों में मूरत सुहानी जिव्हा से तेरा गुणगान रहे।
श्री युगलरूपाय नमो नमः🌹🌹🌹🌹🌹🙏🙏🙏🙏🙏
सत्यप्रकाश पाण्डेय
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