हे मेरे जगदीश सदा ही हृदयतल में तुम्हें बिठाऊँ
बन कमोद मेरे कृष्णचन्द्र तुम्हें देख देख मुस्काऊँ
हे बृजराज तुम्हारे चरणों की रज सिर पर धारूँ
बृषभानु सुता के चरणों मैं अपना जीवन वारूँ
युगलछवि की दर्शन अभिलाषा नित हृदय बनी रहे
तुम मिलें तो जग को भूलूँ पल पल मन में भाव रहें
नित्य अचिन्तन अनन्त अनादि अखण्ड अभेद मुरारी
करो कृपा हे दीनदयालु है सत्य तो शरण तुम्हारी।
श्रीराधे गोविन्दाय नमो नमः🙏🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹🌹
सत्यप्रकाश पाण्डेय
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