सत्यप्रकाश पाण्डेय

कोई तो है................


कोई तो है जो चुपके चुपके
मेरे करीब आता है
कोई तो है जो धीरे धीरे से
दिल में समाता है


होता सुखद अहसास मुझे
मन मेरा मुस्काता है
उसके दीदार मात्र से क्यों
रोमांस भर जाता है


वही धड़कन व पुलकन मेरी
नाद उभर आता है
होता है जब स्मरण उसका
हर्ष सा भर जाता है


कौंन है वो अप्रत्यक्ष अनुभूति
मृदुलता दे जाती है
सो गये थे जो भाव हृदय के
उन्हें आ जगाती है


अब न रह पाऊंगा दूर उससे
कौंन कह जाता है
अब प्रतीक्षा है उस पल की
कब गले लगाता है


क्या उसका व हमारा कोई
प्रारब्ध का नाता है
उसका सौम्य व पावन रुप
हॄदय में समाता है


अब त्याग भी दो निष्ठुरता प्रिय
सत्य तुम्हें बुलाता है
नहीं होना कभी अलग मुझसे
विनती ये सुनाता है।


सत्यप्रकाश पाण्डेय


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